“सकुबाई” के द्वारा नादिराजी ने तत्कालीन समाज में व्याप्त विसंगतियों का लेखा-जोखा वर्णन

Authors

  • Dr. Shivani Verma Author

Abstract

“सकुबाई” के द्वारा नादिराजी ने तत्कालीन समाज में व्याप्त विसंगतियों का लेखा-जोखा वर्णन के साथ-साथ अपने को सभ्य एवं पोश माननेवाले संपन्न वर्ग के पाखंड एवं ढोंग का यथार्थ चित्रण भी किया है।अभावग्रस्त ज़िन्दगी जीते समय भी गरीबी वर्ग कभी भी सत्य या ईमानदारी को नहीं छोडते हैं। यहाँ नादिराजी ने शिक्षित एवं अपने को सभ्य माननेवाले उच्चवर्ग के लोगों के बीच में होनेवाले झूठ-फरेब तथा उससे उत्पीडित मज़दूर वर्ग की मानसिकता पर भी प्रकाश डाला हैं। हर पेट फूला आदमी धन की अतिरिक्त चाह पूर्ति केलिए मक्कारी या झूठ-फरेब के अनेकानेक रास्ता अपनाता है। यही नहीं गरीब की ईमान और इज्जत को पल-पल में कलंकित कर देने में ये वर्ग नहीं हिचकते हैं। ऐसी एक गलत धारणा है कि समाज में चोरी, कलंक या धोखेबाजी केवल गरीब वर्ग ही करते हैं 

Published

2000

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Articles