भारतीय महिलाओं के विधिक अधिकारों का विश्लेषण

Authors

  • Dr. Neelam Author

Abstract

भारतीय संविधान और कानूनों ने महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक समानता प्रदान करने हेतु कई सशक्त प्रावधान किए हैं। अनुच्छेद 14, 15 और 16 महिलाओं को समानता, भेदभाव रहित व्यवहार और सार्वजनिक रोजगार में समान अवसर सुनिश्चित करते हैं, जबकि अनुच्छेद 39 और 42 उन्हें समान वेतन और मातृत्व राहत प्रदान करने की दिशा में राज्य को निर्देशित करते हैं। इसके अतिरिक्त, दहेज निषेध अधिनियम, 1961; घरेलू हिंसा से संरक्षण अधिनियम, 2005; कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से संरक्षण अधिनियम, 2013; मातृत्व लाभ अधिनियम, 1961 और समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976 जैसे कानून महिलाओं को सुरक्षित, गरिमापूर्ण और समान अवसरयुक्त जीवन जीने में सहायक हैं। हालांकि, इन कानूनों का प्रभावपूर्ण कार्यान्वयन एक बड़ी चुनौती बना हुआ है, क्योंकि सामाजिक मानसिकता, जागरूकता की कमी और न्याय प्रणाली की धीमी प्रक्रिया महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित रखती है। इन विधिक प्रावधानों की सफलता के लिए जनजागरूकता, संस्थागत जवाबदेही और समाज में सकारात्मक दृष्टिकोण का विकास आवश्यक है। जब महिलाएं अपने अधिकारों को जानकर उनका प्रयोग करने लगेंगी, तभी ये कानून वास्तविक रूप से सार्थक सिद्ध होंगे और महिला सशक्तिकरण का लक्ष्य प्राप्त होगा।

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2000

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Articles